वित्त अधिनियम 2020 में शामिल बदलावों से एनजीओ के कामकाज में पारदर्शिता आएगी : मंगला

वित्त अधिनियम 2020 केंद्र सरकार का वित्तीय प्रस्ताव है, जो वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए है. इस वित्त अधिनियम 2020 में देश में मौजूदा और नए एनजीओ के कामकाज की रूपरेखा में बड़े बदलाव का प्रस्ताव शामिल था.

स्वयंसेवी संगठनों (एनजीओ) के रजिस्ट्रेशन सहित कई नियमों में बदलाव का प्रस्ताव वित्त अधिनियम 2020 में शामिल था. इन बदलावों को पहले पिछले साल 1 जून से लागू होना था. लेकिन, कोरोना की महामारी से पैदा हुए हालात में इसे लागू करने की सीमा आगे बढ़ा दी गई थी. आखिर क्या है ये बदलाव? इनका एनजीओ पर क्या असर पड़ेगा? ये एनजीओ के लिए कितना मायने रखते हैं. इन सवालों का जवाब जानने के लिए हमने अनुभवी चार्टर्ड अकाउंटेंट राजेश बी मंगला से बात की है. यहा पेश है उनसे बातचीत के प्रमुख अंश:

1. वित्त अधिनियम 2020 क्या है और एनजीओ पर इसका क्या असर पड़ेगा?

वित्त अधिनियम 2020 केंद्र सरकार का वित्तीय प्रस्ताव है, जो वित्त वर्ष 2020-2021 के लिए है. इस वित्त अधिनियम 2020 में देश में मौजूदा और नए एनजीओ के कामकाज की रूपरेखा में बड़े बदलाव का प्रस्ताव शामिल था. इसे 1 जून, 2020 से लागू होना था. लेकिन, देश में कोरोना की महामारी के हालात को देखते हुए इसे लागू करने की तारीख बढ़ाकर 1 अप्रैल, 2021 कर दी गई थी.

निस्संदेह कामकाज की नई व्यवस्था एनजीओ की जिम्मेदारी सुनिश्चित करने के साथ ही पारदर्शिता लाएगी. लेकिन, पक्के तौर पर शुरुआत में एनजीओ को इसके पालन में दिक्कतें आएंगी. छोटे और खासकर ग्रामीण इलाकों में स्थित एनजीओ को दिक्कत का सामना करना पड़ेगा.

2. जिन लोगों ने इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 12ए और 12एए के तहत रजिस्ट्रेशन कराया है, उन्हें नए संशोधन के बाद क्या करना होगा?

वित्त अधिनियम, 2020 के तहत रजिस्ट्रेशन की नई व्यवस्था शुरू की गई है. इसमें कहा गया है, “इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 12ए, सेक्शन 12एए और सेक्शन 80 जी के तहत रजिस्टर्ड सभी चैरिटेबल ट्र्स्ट या संस्थाओं को सेक्शन 12एबी के नए प्रावधानों के तहत फिर से आवेदन करना होगा. आवेदन 1 अप्रैल को या इससे पहले किया जा सकता था. ”

3. अब हर एनजीओ को पांच साल बाद दोबारा रजिस्ट्रेशन कराना होगा, इस बारे में थोड़ा विस्तार से बताएं.

पहले की व्यवस्था में सेक्शन 12ए/ 12एए या 80 जी के तहत रजिस्ट्रेशन होने पर यह तब तक वैध रहता था, जब तक एक्ट के प्रावधानों के तहत इसे प्रिंसिपल सीआईटी या सीआईटी (कंपिटेंट अथॉरिटी) की तरफ से रद्द नहीं कर दिया जाता था.

वित अधिनियम, 2020 के तहत शुरू हुए नए प्रावधानों में रजिस्ट्रेशन हमेशा वैध रहने की व्यवस्था खत्म कर दी गई है. इसमें कहा गया है कि इनकम टैक्स एक्ट के सेक्शन 12ए/ 12एए या 80जी के तहत रजिस्टर्ड मौजूदा संगठनों को वित्त अधिनियम 2020 के सेक्शन 12एबी के तहत दोबारा रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन देना होगा. हर पांच साल पर संस्थान को रजिस्ट्रेशन के रिन्यूएल के आवेदन करना होगा.

4. इनकम टैक्स अधिनियम के सेक्शन 12एबी के तहत रजिस्ट्रेशन कितने समय के लिए वैध होगा?

-सेक्शन 12एबी के तहत कराया गया रजिस्ट्रेशन 5 साल के लिए वैध होगा.
-हालांकि, अस्थायी रजिस्ट्रेशन की स्थिति में यह 3 साल के लिए वैध होगा.
-सेक्शन 12एबी के तहत कराए गए सभी रजिस्ट्रेशन पर रजिस्ट्रेशन की नई व्यवस्था के मुताबिक रिन्यूएल के नियम लागू होंगे.

5. नई व्यवस्था में सेक्शन 80 (जी) के तहत रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया क्या है?

सेक्शन 80जी के तहत रजिस्ट्रेशन के लिए आवेदन करने के लिए भी रजिस्ट्रेशन और रिन्यूएल की प्रक्रिया में बदलाव किए गए हैं. इसके तहत मौजूदा ट्रस्ट या संस्थान को सेक्शन 80जी के सब-सेक्शन (5) के तहत नए रजिस्ट्रेशन के लिए फिर से उसी तरह आवेदन करना होगा, जिस तरह सेक्शन 12 एबी के तहत किया जाता है. यह आवेदन संस्थान के हिसाब से फॉर्म नंबर 10 ए या 10 एबी के माध्यम से करना होगा.

6. क्या आप पाठकों को रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया के बारे में बता सकते हैं, यह भी बताएं कि किस फॉर्म को भरना होगा और अखिरी तारीख क्या है?

रजिस्ट्रेशन की प्रक्रिया
स्टेप 1 : इनकम टैक्स पोर्टल पर ऑनलाइन आवेदन करें/

आवेदक को इनकम टैक्स पोर्टल पर 12ए और 80जी के रिवैलिडेशन के लिए ऑनलाइन आवेदन करना होगा. लॉग-इन करने के लिए आईडी और पासवर्ड की जरूरत पड़ेगी.

स्टेप 2: सभी जानकारियां ध्यान से और सही-सही भरें

किसी गलत या झूठी जानकारी के चलते फॉर्म खारिज किया जा सकता है. ऐसे सभी दस्तावेज जिन्हें फॉर्म के साथ लगाना जरूरी है, उन्हें ध्यानपूर्वक लगाया जाना चाहिए.

स्टेप 3: डिपार्टमेंट की तरफ से रजिस्ट्रेशन ऑर्डर जेनरेट किया जाएगा.

आवेदन फॉर्म सही तरीके के फाइल करने के बाद डिपार्टमेंट सभी दस्तावेजों की जांच करेगा. उसके बाद आवेदन की तारीख से तीन महीने के अंदर रजिस्ट्रेशन की इजाजत देने वाला आदेश जारी कर दिया जाएगा. रजिस्ट्रेशन सफल होने पर सोलह अंक का एक अल्फान्यूमेरिक यूनिक रजिस्ट्रेशन नंबर (यूआरएन) जारी कर दिया जाएगा.

स्टेप 4: पांच साल के बाद रिन्यूएल

ये फॉर्म भरना होगा.

इस मकसद के लिए फॉर्म नंबर 10 ए और 10 एबी तय किए गए हैं. इन्हें ऑनलाइन या ऑफलाइन भरकर इलेक्ट्रॉनिक रूप से फाइल करना होगा.

(1) डिजिटल सिग्नेचर, अगर डिडिटल सिग्नेचकर के तहत इनका का रिटर्न फाइल करना है, या

(2) अगर मामला क्लॉज (1) के तहत नहीं आता है तो इलेक्ट्रॉनिक वेरिफिकेशन कोड के माध्यम से. मामले के हिसाब से फॉर्म नंबर 10 ए या 10 एबी की जांच उस व्यक्ति की तरफ से की जाकएगी, जिसे इनकम रिटर्न के वेरिफिकेशन के लिए अधिकृत किया जाएगा.

फॉर्म 10 ए
निम्नलिखित मकसद के लिए फॉर्म 10ए का इस्तेमाल किया जाएगा:

-सेक्शन 12ए/12एए/80जी के दहत रजिस्टर्ड या एप्रूव्ड मौजूदा सगंठनों के रजिस्ट्रेशन/एप्रूवल के रिवैलिडेशन के लिए आवेदन.
-सेक्शन 12एबी/80जी के तहत अस्थायी रजिस्ट्रेशन/एप्रूवल के लिए आवेदन.

फॉर्म 10एंबी
निम्नलिखित मकसद के लिए फॉर्म 10एबी का इस्तेमाल होगा.

-अस्थायी रजिस्ट्रेशन को नियमित रजिस्ट्रेशन में बदलने के लिए
-पांच साल के बाद रजिस्ट्रेशन/एप्रूवल के रिन्यूएल के लिए.

आखिरी तारीख

फॉर्म 10 ए के आवेदन के लिए आखिरी तारीख

1. ऐसे सभी ट्रस्ट जिन्हें पहले से मान्यता प्राप्त है या रजिस्टर्ड हैं और जिनका रजिस्ट्रेशन/एप्रूवल 1-04-2021 को जारी है: 30-06-2021 को या इससे पहले.

2. ऐसे ट्रस्ट जो अस्थायी रजिस्ट्रेशन/एप्रूवल के लिए आवेदन दे रहे हैं : बीते साल से जब एप्रूवल मांगा जा रहा है, उससे एक महीने पहले.

फॉर्म 10एबी के लिए आवेदन की अंतिम तारीख
1. अस्थायी रजिस्ट्रेशन को नियमित रजिस्ट्रेशन में बदलने के लिए : एक्सपायरी से छह महीने पहले या एक्टिविटी शुरू होने से छह महीने तक में से जो भी पहले हो.

2. पांच साल के बाद रजिस्ट्रेशन/एप्रूवल का रिन्यूएल : एक्सपायरी से छह महीने पहले.

3. सेक्शन 12एबी के तहत मोडिफिकेशन ऑफ ऑबजेक्ट्स रजिस्टर्ड संस्थाओं के रि-रजिस्ट्रेशन के लिए : ऐसे मोडिफिकेशन के 30 दिन के अंदर.

(राजेश बी मंगला अनुभवी चार्टर्ड अकाउंटेंट हैं. उन्हें ऑडिट, मैनेजमेंट कंसल्टिंग, सिस्टम डिजाइन सहित कई अहम क्षेत्रों में 25 साल का अनुभव हासिल है. वह उद्योग चैंबर एसौचेम के सदस्य भी हैं. इंटरव्यू में पेश विचार उनके निजी विचार हैं.)

 

Source – https://m.economictimes.com/hindi/news/ngo